मैं तो इतना सरल हूँ कि सब को समझ आ जाता हूँ , शायद तुमने ही पन्ने छोड़ छोड़ कर पढ़ा है मुझे
जब रिश्ते में आई गलतफहमियों के जवाब तुम खुद बनाने लग जाओ तो समझ लेना रिश्ता टूटने की कगार पर है
मुँह में ज़ुबान सबके होती है पर कमाल तो वो लोग करते है जो इसे सम्भाल कर रखते है
बेवजह ही मुस्कुरा दिया मैंने, दर्द का दिल दुखा दिया मैंने
जब नाराज़गी अपनों से हो तो ख़ामोशी ही भली, अब हर बात पर जंग हो ये ज़रूरी नहीं
कोई उनसे पूछे जो गमों से भागते है वो कहाँ पनाह लेंगे जिनको ख़ुशी रास ना आई
जुबान में मिठास काम होती जा रही है, शरीर में शुगर बढ़ती जा रही है
रिश्तों का नाम हो ये ज़रूरी नहीं , कुछ बेनाम रिश्ते रुकी हुई ज़िन्दगी को साँसे दे जाते हैं
आदमी को अमीर नहीं होना चाहिए उसका ज़मीर होना चाहिए
ज़िद्दी बनो जो लिखा नहीं मुकद्दर में उसे हासिल करना सीखो
बहुत तेज़ रफ़्तार से चल रही है ज़िन्दगी , समझ नहीं पा रहा हूँ , ये पड़ाव है या मंज़िल मेरी
अगर आप में अहंकार है और आपको बहुत गुस्सा आता है तो आपको किसी और दुश्मन की कोई ज़रुरत नहीं
रूठती हमेशा खुशियाँ ही है , दुखों के कहाँ इतने नखरे होते हैं
ज़िन्दगी जिन्हें ख़ुशी नहीं देती उन्हें तज़ुर्बे ज़रूर देती है
रिश्ते जलकर भी राख नहीं होते , बस सुलगते रहते हैं
वो सारी अधूरी हसरतें ज़िन्दगी की , आती है कभी कभी आज भी हिसाब करने
आँसुओं का connection दिल से होता है , दिमाग से नहीं
रिश्ता क्या है ये जानने से अच्छा है इसमें कितना अपनापन है ये महसूस कीजिए
साँसे थी तो अकेला था.. साँसे गई तो सब आ गए …
बचपन की वो बिमारी भी अच्छी लगती थी , जिस में स्कूल से छुट्टी मिल जाती थी
अगर चाहते हो कि भगवान् मिले ,तो ऐसे कर्म करो जिससे दुआ मिले
दिल्लगी कर ज़िन्दगी से, दिल लगा कर चल…. ज़िन्दगी है थोड़ी, थोड़ा मुस्कुरा के चल…
सोच गहरी हो जाए तो फैसले कमज़ोर हो जाते है
जिन्हे किसी चीज़ का लालच नहीं होता है ना , वो अपना काम बहुत ज़िम्मेदारी से करते है
एक दिन तुम अपने आप से ज़रूर शिकवा करोगे, वक़्त और हालात से नहीं , कि ज़िंदगी सामने थी और तुम “दुनिया” मैं उलझे रहे….
लफ़्हज़ों का इस्तेमाल हमारी परविरश का सबूत देते है
लोगों का कहना है कि अब मैं बदल सा गया हूँ….. अब इन्हे क्या बताऊँ अक्सर टूटे हुए पत्ते अपना रंग बदल दिया करते हैं
लहरों की नज़ाकत देख कर लगता ही नहीं ये कश्तियाँ भी डूबा सकती हैं
ज़िन्दगी के हर मर्ज़ का इलाज़ है वक़्त और परहेज़ मतलबी लोगो से करना है
धैर्य ही है जो ज़िन्दगी की किताब के हर पन्ने को बाँध कर रखता है
ख्याल रखा करो अपना , एक ही cartoon है मेरे पास
आए थे कुछ लोग मेरा दुःख बाँटने , पर जैसे ही मैं थोड़ा खुश हुआ वो नाराज़ होकर चल दिए
चर्चा उसी की होती है, हर महफ़िल में …… जिसके दिल में प्रेम की धारा बहती ह
परखो तो कोई अपना नही….. समझो तो कोई पराया नहीं
ना किस्सों में ना किश्तों में , ज़िन्दगी का मज़ा है सच्चे रिश्तों में
सच्चे इंसान को झूठे इंसान से अक्सर ज्यादा सफाई देनी पड़ती है
मित्र और चित्र दिल से बनाओगे तो उनके रंग ज़रूर निखर कर आएंगे
मीठे लोगों से मिल कर जाना कि कड़वे लोग अक्सर सच्चे होते हैं
इंसान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले और परिंदे सोचते है कि रहने को घर मिले
“मौका ” जितना छोटा ये शब्द है , उतनी ही देर के लिए ये आता है
अनुशासन ही है जो आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचा सकता है
जो दो लफ़्हज़ों को ना समझ सका , उसे ज़िन्दगी की किताब क्या देते
विश्वास ही वो चीज है जो दिल से पहले टूटती है